उत्तराखंड 2013 की प्राकृतिक आपदा पर एक नजर

Dineshlal thati
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2013 मे आई आपदा ने उत्तराखंड मे काफी कहर बरपाया सबसे जादा तबाई केदार नाथ मे हुई ।

इस बाड़ में कितने लोग मरे इसका सही आंकड़ा कभी नहीं निकल सकता ।उत्तराखण्ड का भूगोल इस त्रासदी ने बदल दिया है। गांव के गांव ध्वस्त हो गये। नदियों ने अपने मार्ग बदल दिये । उत्तराखण्ड का सामाजिक–आर्थिक–सांस्कृतिक ताना–बाना छिन्न–भिन्न कर दिया है। प्रदेश सरकार के अनुसार मृतकों की संख्या ऐक हजार भी नहीं है। लापता लोगों की संख्या सरकार द्वारा 5428 बताई गयी । लेकिन मौत के मुंह से लौटे यात्रियों व स्थानीय जनता के अनुसार मृतकों की संख्या लगभग दस हजार से कम नहीं है।

वेसे तो उत्तराखण्ड मे हर साल तबाही होती है मगर 2013 जेसी सायद ही कभी हुई हो ।
कुदरत के इस कहर से बूढाकेदार भी अछूता नही रहा बूढ़ाकेदार मे लगभग 5 दुकाने वा दर्जनो घर तबह हुऐ । उपजाऊ भूमि तबाह हुई । अगुण्डा, कोटी, पिनस्वाड मार्ग बहा ।



समय के चलते सायद कई लोग ये आपदा भूल भी जऐं लेकिन जिन्होने अपनो को खोया है उनका क्या ?
आखिर कोन जिम्मेदार हे ऐसी घटनाओं के लिये ?
प्रकृति के सामने इंसान कुछ
नही है. इंसान प्रकृति से है
प्रकृति इंसानो से नही, इस बात
का हमे ध्यान रखना होगा.
प्रकृति से टकराव के
परिणामो को समझना चाहिए
न जीवन बचा न घरो की निशानी ,पहाड़ो पे टुटा पहाड़ो का पानी

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