अनसुलझे रहस्यों से भरा है खैट पर्वत
बचपन मे हम सभी अपने बुजुर्गो से परियों और देवी-देवताओं की कहानियाँ सुनते आ रहे है ।जिसमे से कुछ सच्ची तो कुछ काल्पनिक होती है ।
उत्तराखंड के टिहरी मे स्थित खैट पर्वत उन्ही रहस्यो मे से एक है जिसे परियों का देश भी कहा जाता है ।
कहा जाता है कि इस पर्वत पर अप्सरायें निवास करती है ।
इस पर्वत पर बने खैटखाल मंदिर मे अप्सराऔं का निवास स्थान माना जाता है ।
यहाँ कई लोग अप्सराऐ देखे जाने का दावा कर चुके है ।
यहां की स्थानीय भाषा मे इन्हे आछिरी या मांतरी के नाम से जाना जाता है ।
यह पर्वत समुद्र जल से लगभलग १०,५०० फीट की उंचाई पर स्थित है ।
कहा जाता है कि खैट पर्वत की ९ श्रृंखलओं मे ९ अप्सरायें निवास करती है जो आपस मे बहने है ।
और इन अप्सराओं को चटकीले रंग बहुत पसंद होते है यहां के लोगो का मानना हेकि अगर आप यहां चटक लाल या पीले वस्त्र पहन कर गये तो ये अप्सराऐ आपको अपने वस मे कर लेगी जिसके आपको बहुत बड़े दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते है ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र मे कुछ फसलें ऐसी भी होती है जिन्हें आप यहां से कहीं नही ले जा सकते और अगर लेकर भी गये तो ये खाने लायक नहीं रहती ।
यहाँ चीखने चिल्लाने या बेेेेवजह किसी भी तरह के संगीत पर सक्त मनाही है ।
उत्तराखंड से जुड़ी हुई इन अप्सराऔं की कहानियो मे जीतू बग्डवाल का नाम अक्सर आता है ।
कहा जाता है कि जीतू बग्डवाल एक गडरिया था और गडरिया होने केे साथ बहुत अच्छी बांसुरी भी बजाता था ।
वह अपनी भेड़ बकरियां चराने दूर दूर के जंगलो मे जाता था ।
बकरियां चराते समय वह बांसुरी भी बजाया करता था ।जिसकी धुन पूरे जंगल मे सुनाई देती थी ।
एक दिन उसकी बांसुरी की धुन यहाँ की अप्सराऔं को सुनाई दी और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई ।
यह पर्वत गुम्बदाकार है और सालभर हराभरा रहता जिसके कारण लोग यहां खिंचे चले आते है ।
इस पर्वत के दर्शन के लिए यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आते है ।
और यहाँ ठहरने के लिए उचित व्यवस्था भी है ।
आप भी एक बार यहां जरूर आइये कहते है कहा जाता है कि इस स्थान पर आकर कुछ अलग ही अहसास होता है ।
जिसे शब्दों बयां करना मुश्किल है ।
और अगर आप यहाँ आ चुके हो तो Comment box मे जरूर लिखें ।