महासागर नाग देवता सम्पूर्ण बूढाकेदार क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रोँ का पूज्यनीय तथा मनोकामना पूर्ण करने वाला देवता है।
महासागर नाग देवता को हम अन्न तथा धन्न का देवता मानते हैँ। यह देव भक्तोँ की आवश्यकतानुसार सभी मनोकामनायेँ पूर्ण करता है।
महासागर नागदेवता के सम्बन्ध मेँ कथा है कि-आज से लगभग तेरह सौ वर्ष पूर्व कैमर मे घुमराणा शाह नाम का एक राजा राज्य करता था।
इनका पुत्र उमराणाशाह था। जिसकी कोई संतान नहीँ थी। उन्होँने पुत्र प्राप्ति के लिए शेषनाग की तपस्या की। उमरावशाह की पत्नी फुलमाला की तपस्या से शेषनाग प्रसन्न हुए और मनुष्य रूप मेँ प्रकट होकर उनसे कहा कि मैँ तुम्हारे घर मेँ नागरूप मेँ जन्म लूँगा।
फलतः शेषनाग ने फुलमाला के गर्भ से दो नागोँके रूप मेँ जन्म लिया जो कि कभी मनुष्य रूप मेँ तथा कभी अपने नाग रूप मेँ परिवर्तित होते रहते थे।
नाग का नाम "महासागर" तथा नागिन का नाम "माहेश्वरी" रखा गया।उमराणा शाह की दो पत्नियाँ थीँ।
दूसरी पत्नी की कोई सन्तान न थी इसलिए सौतेली माँ की कूटनीति काशिकार होने के कारण उन नाग-नागिन (भाई बहिन) को घर से निकाल दिया गया।
फलस्वरूप दोनोँ भाई बहिनोँ ने "बूढाकेदारनाथ" क्षेत्र मेँ बालगंगा के तट पर "विशन" नामक स्थान को चुना। विशन मेँ आज भी इनका मन्दिर विद्यमान है।यहाँ पर परम्परनुसार भट्ट जाति केलोग मन्दिर मेँ नाग की पूजा का कार्य अनवरत् रूप से कर रहैँ हैँ।
विशन के अतिरिक्त नागवंशी दोनोँ भाई बहिनोँ ने महासरताल नामक स्थान को भी अपना निवास स्थान चुना। इस स्थानपर वर्तमान मेँ भी दो बड़ी-बड़ी पानी की झीलेँ हैँ।
जिन्हेँ महासर (मार) तथा माहेश्वरी (महारिनी) ताल के नाम से जाना जाता है, इन्हीँ दोनोँ तालोँ मेँ नागवंशी दोनोँ भाई-बहिन निवास करते हैँ।
यहाँ पर प्रतिवर्ष गंगा दशहरा को मेला लगता है, जिसमेँ दूर-दूर से श्रद्धालु आकर स्नान करते हैँतथा प्रकृति की सुन्दरता को देखकर आनन्दित होते हैँ।
"जय महासागर नाग देवता की जय"
"जय महासागर नाग देवता की जय"