वहीं एक गांव ऐसा भी है जहां के युवा धीरे-धीरे गांव मे ही अपना रोजगार सुरू कर रहे है ।
और पलायन को खत्म करने का प्रयास कर रहे है ।
जी हां मे बात कर रहा हूं टिहरी जिल्ले मे बसे बूढ़ाकेदार की ।
पहाड़ों मे बसा यह स्थान बहुत ही सुंदर और मनमोहन है
यहां पर भगवान शिव का बहुत प्राचीन और विशाल मंदिर भी है ।
जिसके दर्शन के लिये यहाँ देश विदेश से प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आते है ।
जिसके बारे मे कहा जाता है कि पांडव जब स्वर्गारोहण को गये तो यहीं पर भगवान शिव ने उन्होंने बूढ़े ब्राह्मण के दर्शन दिये ।
अगर आपको बूढ़ाकेदार मंदिर के बारे मे अधिक जानकारी लेना है तो क्लिक करके ये पोस्ट पढ़ सकते है ।
आज मे बात करूंगा बूढ़ाकेदार के दो ऐसे ही दो युवाओ की जिन्होंने अच्छी डिग्रियाँ हासिल करने के बावजूद भी अपने गांव से मुह नही मोड़ा और गांव मे ही अपना रोजगार सुरू किया ।
सबसे पहले बात करते है सोहित नाथ जी की जिन्होंने बूढ़ाकेदार मै बेकरी का निर्माण किया और स्वीट बकेर्स नाम रखा ।
स्वीट बकेर्स मै बेकरी का हर वो सामान मिलता है जिसकी आज के दोर मे हर किसी को जरूरत पड़ती है जेसे जन्मदिन के लिए केक, बिसक्ट्स, ब्रेड,बन,फैन, पेटीस, पिज़्ज़ा, हॉटडॉग, पेस्ट्री ,केक,खारी बिसकिट्स,क्रीम रोल व् अन्य प्रकार के बेकरी प्रोडक्ट्स उचित दामो पर मिलते है । जिसके लिए यहाँ के के लोगों को चमियाला या घनसाली जाना पड़ता था । इन्होने सोचा क्यों न अपने गाँव मे ही ये सब बनाया जाय और आज ये बूढ़ाकेदार ही नही बल्कि बिनक्खाल, छोंतरी, आरगढ़ मे भी अपना प्रोजेक्ट सप्लाई कर रहे है ।
किंडर गार्टन एजुकेशन अकादेमी जो कि सागर सुनार जी द्वारा चलाया जा रहा है ।
इनका कहना है कि बी. एड समाप्त होते ही शहरों मे जब मेरे साथी जॉब तलाश रहे थे तब मैने सोचा शिक्षा का अभाव होने के कारण लोग पलायन कर रहे है ।
10 साल तक मैने अपनी पढाई पूरी की और गॉव मे बेहतर शिक्षा देने की ठानी और इसे ही अपना उद्देश्य मान कर मैने शहर से अपने गॉव का रुख मोडा और गॉव मे इंग्लिश मीडियम प्री स्कूल की नीव रखी, जो श्री किन्डर गार्टन नाम से गॉव मे 60 बच्चों को शिक्षा के प्रति रोचक बना है ।
यहॉ पर बच्चो को अंग्रजी स्पीकिंग, एक्टीविटीज, फैस्टिवल कम्पयूटर एजुकेशन आदि मुहया करवा रहा है ।
इनकी अकादमी 10 से ज्यादा बच्चो को निशुल्क शिक्षा व सभी प्रकार की सहायता दे रही है चाहे वो गर्म कपडे हो शिक्षण सामाग्री हो या आर्थिक मदद इनका कहना हैकि हम अपने गॉव के लिये हर वो कार्य करेंगे जिससे कुछ हद तक पलायन को रोका जायेगा ।
बूढ़ाकेदार मे कार्यरत इन युवाओं के नाम यहीं पर खत्म नही होते और भी बहुत से युवा है जो की अलग अलग फील्ड मे कार्य करके पलायन को रोकने का प्रयास कर रहे है ।
दोस्तों युवा गाँव की रीड होती है और अगर ये ही पलायन करे तो गांव का क्या होगा ये बात हम सभी को समझनी चाहिए ।
बहुत सुंदर पलायन को रोकने के लिए इन्हें धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर जी
हटाएंधन्यवाद सर जी
हटाएंइन लोगो से उन सभी लोगो को प्रेरणा लेनी चाहिए जो यह कहते है कि गांव मे क्या रखा है क्यूं रहे हम यहाँ लेकिन जब हम खुद प्रयास करेंगे तभी तो गांव मे कुछ होगा ना ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सराहनीय प्रयास है
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